शायरी  संग्रह



तुहारे शहर का मौसम बड़ा सुनहरा लगे

मै एक शाम चुरा लू अगर बुरा ना लगे

अगर तुम्हारे बस मे हो भूल जाना मुझे

तुम्हें भूलाने मे मुझे शायद जमाना लगे

जो डुबना हुआ तेरे इश्क मे तो सुकून से डुबेगे

के आस पास की लहरों को भी पता ना लगे

वो फूल जो मेरे दामन से हो मायूस

खुदा करे उन्हे बाजार की हवा ना लगे


ना जाने क्या है उसकी नशीली आंखो मे

वो मुह छुपाकर भी जाय तो बेवफा ना लगे

तू इस तरह से मेरे साथ बेवफाई करना

कि तेरे बाद मुझे कोई बेवफा ना लगे

हम आँख मूंदकर पी जायगे जिंदगी को

एक घूंट मे शायद ये कड़वा ना लगे

हमरी दोस्ती से जलने लगी ये दुनिया

दुआ करो किसी कमीने कि बदुआ ना लगे

               
                      

आए है तेरे Comment Box मे हाले दिल सुनाने को

तेरी याद मे तड़फ लिए बहुत अब दिल कर रहा है मुस्कुराने को

अब कोई मागता है फोन तो देते नहीं PubG खेलने को

क्योकि उसमे तेरी बहुत सारी Photos & Massage है छुपाने को


                 
                     

मुझे आंखो मे कैद करके मेरी कमर पर हाथ रखकर

तुम धीरे-धीरे मेरी तरफ बढ़ते हो मेरी रूह काप जाती है

तुम पहले मेरी गर्दन पर अपने होने का

मेरे दिल मे करीब होने एहसास कराते हो

फिर मेरे गालो को करीब आकार

मुझे होंटो पर kiss करते हो


तो तुम्हारी साँसो की गर्मी मेरा बदन काप सा जाता है

जैसे ही मै पलके उठती हूँ

अंधेरे कमरे मे रात को २ बजे

तकिये को बाहो मे लिए भीगे कम्बल मे

पास पड़े तेरी यादों से भरी शायरी की डायरी

के साथ अकेले पति हूँ