मेरे दिल की चिंगारी
उसके जिस्म की आग बन बैठी
उसने समझा मुझको कायर
मै तो शायर बन बैठी
           
 
सुन ऐ जिस्म के जानवर
कुछ यादे ताजा करनी है
कुछ सवाल, कुछ जवाब मुख जुबानी सुननी है तेरी
कि जब दुपट्टा पहली बार तूने मेरे गले से उतारा था
तुझे तेरी महबूबा की याद तो आई होगी
और तेरी इन उंगलियों के निशान
जो बदन पर है मेरे 0R हमेशा रहेगे
क्योकि तेरे पापा ने भी चलना सिखाया था तुझे
तुझे उनकी याद तो आई होगी
अपनी इन हथेलियो से जब
छाती को तूने झञ्छोड़ा था मेरी
तुझे अपनी माँ के पहले आहार की याद तो आई होगी
अपनी उन हवस की साँसो को जब मेरे अंदर
भरने की भरपूर कोशिश करते थे तुम
तुझे अपनी बहन की याद तो आई होगी
वो खून से लटपत नंगन शरीर मे पड़ी थी मै
बता ना तुझे अपनी बेटी की याद तो आई होगी
तू मुझे मिला जिंदगी के हर एक मोड पर
कभी बाप, कभी भाई तो कभी मामा बनकर
बता ना तुझे उन रिश्तो की याद तो आई होगी