SHayri 0.2 Version
मै खुद उतार दुगी ये कपड़े अपने आप के
कि तु इस लायक तो बन ऑर
ये कपड़े उतरवाने से पहले
मेरे जिस्म का पहरेदार तो बन
हमने दुनिया को रंग बदलते देखा है
कभी किसी कंधे से
गलती से सरकते दुपप्टे मे
झकने वाले को अपनी
बीवी के सिर पर आचल
सभालते देखा है
हमने इस दुनिया को बदलते देखा है
जिन्दगी के बही खाते मे
बस इतनी सी कमाई है कि
मेरी माँ सुकून से मुसकुराई है
बड़ा मुसकिल है उस शक्स को गिरना
जिसे चलना ही ठोकरों ने सिखाया हो
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| Ashish kumar |
किसी के लिय कुदरत ने ना
किसी के लेय हाँ लिख दी
जो उसका चहीता था
उसके लेय माँ लेख दी
नए की आरजू छोड़ो पुराना जान जायगा
कहा तुमने नहीं माना कहा था जान जान जायगा
ऑर सुनो अगर तुम नाम के बाद मेरे जी लगाओगी
हमारे बीच जो भी है जमाना जान
जायगा
मेरे यार भाई दोस्त हमसफर कैसा होगा
आंखो से होठो तक का सफर कैसा होगा
जो आंखो से पिलाते हो जाम अच्छा है
जो होटो से पिलाओगी वो जहर कैसा होगा
बस इतनी सी बात है
कि तुम साथ जब होते हो मेरे
खुश तब है गम मेरे
तुम शामिल रहते हो मेरी हर बात मे
ऐसे खास नहीं है मेरे
कि गरिमा तुम्हारी चुकाए कैसे
यह जो प्यार हो गया है तुमसे
उसे भुलाए कैसे
यूं तो अफसाने रोज़ मिलते है
पर मुकद्दर से जो नाम लिखा था
तेरा उसे मिटाए कैसे
2 Comments
72rin
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