वो अपनी आंखो मे मेरे इश्क का ख्वाब रखते है
थोड़े पागल है महोब्ब्त को शरेआम रखते है
और कह दो उनसे थोड़ा तो लिहाज करे महोब्ब्त का
क्यू किसी और की म्होब्बत पे नजरे खाश रखते है
समुंदर मे रहकर वो आग पर निगाह रखते है 0r
शायरी के बहाने वो दिले इजहार रखते है 0r
ये वो भी जानते है कि ये टूटे दिलवालों कि महफिल है जनाब
फिर भी यहां दिल जोड़ने के जजबात रखते है
वो अपनी आंखो मे मेरे इश्क का ख्वाब रखते है
वो होठो पर हमेशा मेरी बात रखते है
भरी महफिल मे मेरे लिए अपने जजबात रखते है
0r बन जाए जो हमारी शर्मिंदगी का शवब
क्यू हमारे सामने ऐसे जजबात रखते है
वो अपनी आंखो मे मेरे इश्क का ख्वाब रखते है
तुलना मेरी वो सामने चाँद रखते है
0r अपनी अल्फाजो ki मेरे पैरो पे कायनात रखते है
0r कोई तो समझाओ इन्हे मुझसे दूर रहे
क्यू जीने कि उम्र मे जहर कि चाह रखते है
सुनो
तुम महोब्बत किसी कि बेहिसाब हो क्या
मै
लिखता हूं जो भी कहानिया तुम उन कहानियो की किताब हो क्या
जो
मुरझाने के बाद भी महकता है तुम कोई ऐसा गुलाब हो क्या
चढ़
जाती मुझे सिर्फ देखने से ही तुम महखाने की ऐसी कोई शराब हो क्या
जिन
ख्वाइशों मे मेरा इश्क मुकम्बल हो चुका है
तुम
उन ख्वाइशों का कोई ख्वाब हो क्या
जिस
पानी मे मुझे सिर्फ तुम्हारा चेहरा दिखाई देता है
तुम
उस पानी का कोई तलाब हो क्या
मै
उलझा हुआ रहता हूं सवालो मे अब
तुम
उन सवालो का जवाब हो क्या
सुनो
तुम महोब्बत किसी कि बेहिसाब हो क्या






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